India's middle class wage crisis 2025
क्या आपको भी लगता है कि सैलरी नहीं बढ़ रही, लेकिन खर्च बढ़ते जा रहे हैं? जानिए भारत में मिडिल क्लास की आर्थिक स्थिति, बेंगलुरु के CEO की चेतावनी और समाधान।
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मध्यवर्गीय वेतन संकट: क्या आपको भी लग रहा है कि मेहनत बढ़ रही है, लेकिन सैलरी नहीं?
भारत का वेतन संकट 2025: अब बात करनी ज़रूरी है
आप और हम जैसे लाखों लोग हर दिन ऑफिस जाते हैं, मेहनत करते हैं, प्रमोशन का इंतज़ार करते हैं… लेकिन क्या कभी सोचा है कि महंगाई जितनी तेज़ी से बढ़ रही है, हमारी सैलरी उसी हिसाब से क्यों नहीं बढ़ रही?
हाल ही में बेंगलुरु के एक CEO आशीष सिंघल ने एक पोस्ट में इसी मुद्दे पर खुलकर बात की। उन्होंने इसे “भारत का सबसे बड़ा आर्थिक धोखा” बताया — और हममें से कई लोग इससे पूरी तरह सहमत होंगे।
भारत का मध्यवर्ग संकट: आंकड़े डराने वाले हैं
जरा सोचिए:
पिछले 10 साल में हमारी सैलरी औसतन 0.4% ही बढ़ी है।
दूसरी ओर, रोज़मर्रा की ज़रूरतों की चीज़ें — जैसे दूध, किराया, दवाइयाँ — 80% तक महंगी हो चुकी हैं।
यह तो सीधा-सीधा वेतन बनाम महंगाई भारत की जंग है — और इसमें हारता कौन है? जी हाँ, मिडिल क्लास।
बेंगलुरु में महंगाई का हाल और रहने की लागत
आप बेंगलुरु में रहते हों या किसी और मेट्रो सिटी में, कहानी लगभग एक-सी है।
2BHK फ्लैट का किराया ₹40,000 के आसपास।
दूध, गैस, बिजली, सब कुछ महंगा।
लेकिन सैलरी? वहीं की वहीं।
अगर आप सोचते हैं कि बेंगलुरु में रहने की लागत कितनी है, तो शायद अब सवाल होना चाहिए: “हम इसे और कब तक झेलेंगे?”
मिडिल क्लास की सेविंग क्यों घट रही है?
महीने के आखिर में आपके पास कितना बचता है? EMI, बच्चों की स्कूल फीस, मेडिकल खर्च, किराया और रोज़मर्रा का बजट — सब कुछ निकालने के बाद शायद कुछ हज़ार ही बचते हों।
और यही हो रहा है पूरे भारत में:
सेविंग घट रही है
इमरजेंसी फंड नहीं बन पा रहा
रिटायरमेंट प्लानिंग अधूरी है
कह सकते हैं कि भारतीय मध्यमवर्ग की आर्थिक स्थिति 2025 में एक गंभीर मोड़ पर है।
भारत में वेतन वृद्धि और हमारी उम्मीदें
आप जब appraisal मीटिंग में जाते हैं तो क्या सोचते हैं? शायद यही — “कम से कम महंगाई जितना तो बढ़े!”
लेकिन:
कंपनियाँ 4-6% की सैलरी हाइक देती हैं, जो महंगाई दर से भी कम है।
और अगर आप नई जॉब में ना जाएं, तो कई बार ये हाइक और भी कम होती है।
भारत का आर्थिक असंतुलन: मिडिल क्लास को क्यों अनदेखा किया जा रहा है?
नीचे के तबके के लिए योजनाएं हैं, ऊपर के तबके को टैक्स छूट मिलती है। पर हम जैसे लोग?
न हमें सरकार से मदद मिलती है,
न टैक्स में राहत,
और न ही जॉब सिक्योरिटी।
तो सवाल उठता है — क्या भारत का मिडिल क्लास सिर्फ टैक्स भरने के लिए है?
तो समाधान क्या है? हम क्या कर सकते हैं?
आवाज़ उठाएं – सोशल मीडिया हो या चुनाव, इस मुद्दे को नजरअंदाज़ मत होने दें।
अपना फाइनेंशियल प्लानिंग मजबूत करें – निवेश, सेविंग और खर्च में संतुलन लाएं।
कंपनी से पारदर्शिता माँगें – हक की बात करना गलत नहीं।
निष्कर्ष: अब वक्त है कुछ बदलने का
अगर आप भी यही महसूस करते हैं कि “हम मेहनत ज़्यादा करते हैं, लेकिन हमारे पास कुछ बचता नहीं,” तो आप अकेले नहीं हैं।
मध्यवर्गीय वेतन संकट एक सच्चाई है — और हमें मिलकर ही इसे बदलना होगा।
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